गाली और सामाजिकता

गाली हमेशा से समाज की परंपरा रही है गाली सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु सभी देशों में दी जाती रही है। इसके खोजकर्ता का पता लगा पाना मुश्किल ही है।

गाली देने का मतलब एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के प्रति गुस्सा जाहिर करने से लगाया जाता है

गालियां भी कई तरह की होती है आमतौर पर इन्हें दो वर्गों में बांटा जा सकता है अच्छी गालियां और बुरी गालियां अच्छी गालियों मे


माँ द्वारा बच्चों को दी जाने वाली गालिया, जिन्हें सुन सुन कर सभी बड़े होते है । शादियों में रस्म रिवाज़ों में दी जाने वाली गालिया, मित्रो में आपस में प्यार से दी जाने वाली कुछ गालियो को सम्मिलित किया जा सकता है।

गंदी गालियां समझाने की जरूरत नहीं है वह आप सब पहले से ही जानते है। गाली स्त्रीलिंग शब्द है और हर गाली स्त्री लिंग से सम्बंधित ही बनाई है पुरुष सत्तात्मक समाज ने ..

गालियों का इस्तेमाल फिल्मों में भी बढ़-चढ़कर किया जाता है साधारण गालियों से लेकर गंदी गालियों तक का प्रयोग हो रहा है इससे यह साबित होता है कि गालियां समाज का अहम हिस्सा है कई गलियों का वर्षो से प्रयोग हो रहा है लेकिन साथ ही साथ रोज नयी नयी गालियो की खोज भी हो रही है।

"जब तक इंसान है गालियां जीवित हैं ।"

Guest Author: Pradeep kasumi


No comments:

Post a Comment

Facebook Google+ Twitter Buffer Digg Reddit StumbleUpon Scoop.it Flipboard Kindle It Communicate Blogmarks