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स्वच्छ भारत अभियान |
कुछ नौ दस महीने पहले की बात है. सरकार ने सिगरेट के दामों में भारी बढ़ोतरी की थी, ये कहते हुए कि इससे धूम्रपान को बढ़ावा मिलना कम होगा और लोग तंबाकू सेवन कम करेंगे. हालाँकि इससे राजस्व में बढ़ोतरी के अलावा कुछ हुआ नहीं. इसके कुछ दिनों बाद गैस सब्सिडी छोड़ने का आग्रह किया गया ये कहते हुए कि इससे ग़रीबों के घर चूल्हे जलाने में मदद मिलेगी. वो बात अलग है कि ऐसा कुछ हुआ नहीं. स्वच्छता अभियान शुरू किया गया ये कहते हुए कि देश को साफ करना देशवासियों का पहला कर्तव्य है.
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जन सहभागिता से बचेंगे वन |
आज भी सिगरेट की खपत कम नही हुई है. आज भी देश साफ नहीं हुआ है. आज भी ग़रीबों के घर चूल्हा नहीं जला है. कागज़ी अभियानों से किसको फायदा हुआ है ये जाँच का विषय हो सकता है, लेकिन एक बात तो सामने है सबके, कोई भी
अभियान बिना
जन-सहभागिता के सफल नहीं हो सकता, इसलिए अभियानों को एक अच्छी रूपरेखा और योजना के साथ उतारा जाना चाहिए, ना कि उसे उतारने वाले नेता की लोकप्रियता के आधार पर लॉंच करना चाहिए.
असफल अभियान सरकार और जनता का वक़्त तो बर्बाद करते ही हैं, नेता की छवि की असलियत खोलते हैं सो अलग.
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