ये वाद वो वाद
औंगा वाद पोंगा वाद
इधर का वाद
उधर का वाद
हर वाद में कुछ न कुछ अच्छाइयी मिल ही जाती है ढूंढने पे
पर जातिवाद में नही मिलती ...
जातिवाद और जातिवादिओ से घिन्न आती है... जितना हो सके, दूर रहो ऐसो से
जाति उन्मूलन के तरीके नहीं पता
न कोई सुझाव ढंग का
सब कुछ " ऐसा करेंगे .. वैसा करेंगे तो ऐसा होगा " वाली अनिश्चितता पर रख छोड़ा
समझने की बात यह है कि जाति एक अहम पहचान है, जो आपके जन्म से लेकर आपकी मृत्यु तक आपके साथ होती है. भारतीय समाज में व्यक्ति का मूल्यांकन उसकी जाति से होता रहा है. आप कितने भी समृद्ध क्यों न हो जाएं, लोग बेबाकी से आपकी जाति पूछते हैं.
अच्छा ये कुमार के आगे क्या है, मतलब कोई सरनेम-वरनेम. भाग साले..!!
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