वाद पुराण

ये वाद वो वाद
औंगा वाद पोंगा वाद 
इधर का वाद
उधर का वाद 
हर वाद में कुछ न कुछ अच्छाइयी मिल ही जाती है ढूंढने पे 
पर जातिवाद में नही मिलती ...
जातिवाद , casteism, casteism in india, adherence to a caste system, prejudice or discrimination on the grounds of caste,
जातिवाद और जातिवादिओ से घिन्न आती है... जितना हो सके, दूर रहो ऐसो से

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,इसाई आपस में सब भाई भाई
मतलब
हिन्दू-हिन्दू आपस में
मुस्लिम-मुस्लिम में
सिख-सिख में,
इसाई-इसाई में
इसी तरह


सोशल मीडिया और नास्तिकता

जीब तरह के नास्तिको(नमूनो) से भरी पड़ी है सोशल मीडिया
एक धर्म की बुराई करो दूसरे की बढ़ाई करो, बन जाओ नास्तिक

धर्मनिरपेक्षता और नास्तिकता,, दोनों शब्दों का मज़ाक बना दिया है कमबख़्तो ने
अपने अपने पसंद का खम्बा पकड़ रखा है सारे भेड़िओ ने.. उसी पर टांग उठाये करते रहते हैं

भारत और पाकिस्तान

भारत और पाकिस्तान    
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भारत और पाकिस्तान

लंगोटिया यार थे..
नहीं नहीं
एक ही लंगोट में थे

पर कुछ लोगो ने
खीच के लंगोट फाड़ दी
अलग कर दिया दोनों को
एक के पास थोड़ा बड़ा हिस्सा आया
दुसरे के पास छोटे वाला

कभी रूस

हर अभियान मांगे जन-सहभागिता

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स्वच्छ भारत अभियान 
कुछ नौ दस महीने पहले की बात है. सरकार ने सिगरेट के दामों में भारी बढ़ोतरी की थी, ये कहते हुए कि इससे धूम्रपान को बढ़ावा मिलना कम होगा और लोग तंबाकू सेवन कम करेंगे. हालाँकि इससे राजस्व में बढ़ोतरी के अलावा कुछ हुआ नहीं. इसके कुछ दिनों बाद गैस सब्सिडी छोड़ने का आग्रह किया गया ये कहते हुए कि इससे ग़रीबों के घर चूल्हे जलाने में मदद मिलेगी. वो बात अलग है कि ऐसा कुछ हुआ नहीं. स्वच्छता अभियान शुरू किया गया ये कहते हुए कि देश को साफ करना देशवासियों का पहला कर्तव्य है.

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जन सहभागिता से बचेंगे वन
 आज भी सिगरेट की खपत कम नही हुई है. आज भी देश साफ नहीं हुआ है. आज भी ग़रीबों के घर चूल्हा नहीं जला है. कागज़ी अभियानों से किसको फायदा हुआ है ये जाँच का विषय हो सकता है, लेकिन एक बात तो सामने है सबके, कोई भी
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