रिश्तो का चक्रव्यूह है भैया
अभिमन्यु माँ के पेट से चकर्व्युह में घुसना ही नहीं
उसे बनाना .. जटिलतम बनाना भी सीख के आता है
दौरे-चम्पूगिरी यूँही चलती रही है भारत में
यूँही चलती रहेगी
जड़ को खत्म करे बिना
कितना ही शोर मचा लो
कुछ नही बदलने वाला
स्त्री मुक्ति के लिए धर्म का नाश करो
रिश्तो की तिलांजलि दो
नैतिकता को फिर से परिभाषित करो
ये पोस्ट समझने के लिए
थोड़ा पढ़ लिख लो
शायद समझ आने लगा थोड़ा सा
अभिमन्यु माँ के पेट से चकर्व्युह में घुसना ही नहीं
उसे बनाना .. जटिलतम बनाना भी सीख के आता है
दौरे-चम्पूगिरी यूँही चलती रही है भारत में
यूँही चलती रहेगी
जड़ को खत्म करे बिना
कितना ही शोर मचा लो
कुछ नही बदलने वाला
स्त्री मुक्ति के लिए धर्म का नाश करो
रिश्तो की तिलांजलि दो
नैतिकता को फिर से परिभाषित करो
ये पोस्ट समझने के लिए
थोड़ा पढ़ लिख लो
शायद समझ आने लगा थोड़ा सा
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