उभार

अजब है उभारो की गाथा

मैं कुछ लिख दूँ उभारों के बारे में
तो मैं ठरकी
या मस्तराम का चेला

कोई लड़की/.महिला कुछ लिख दे
उभार ये उभार वो करके
तो वो समाजसुधारक
प्रगतिशील

आधुनिकता में भी लिंगभेद छुपा है
चश्मे का नंबर बढाइये

Source: Facebook Post


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