आरक्षण

आरक्षण! 
" गाँव भर की भौजाई । "

जो जहाँ पाया , वहीं छेड़खानी कर बैठा । 
दिन , दोपहर , रात !

एक कहता है कि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण नहीं देंगे । 
दूसरा कहता है कि प्रोन्नति में आरक्षण नहीं देंगे। 
तीसरा कहता है कि एकल पद पर आरक्षण नहीं देंगे।
चौथा कहता है कि क्रीमी लेयर वालों को आरक्षण नहीं देंगे। 
पाँचवाँ कहता है कि न्यायिक सेवाओं में आरक्षण नहीं देंगे।

छठा , सातवाँ ... और ग्यारहवाँ भी इसे छेड़ता है , ताना मारता है।
बारहवाँ कहता है कि 50% से अधिक आरक्षण नहीं देंगे।

कोई कहता है कि इसी 50% में थर्ड जेंडर को भी ले आओ। 
कोई कहता है कि विकलांग को भी इसी में शामिल कर लो। 
कोई कहता है कि महिला और आर्थिक रूप से कमजोरों को भी इसी में जोड़ दो । 
कोई कहता है कि आरक्षण की मांग कर रही अन्य जातियों को भी इसी 50% में सूचीबद्ध कर लो।

'' मन - केकर - केकर राखी अकेल जियरा । "

आरक्षण के पहरूए चुप हैं। सभी चुप हैं । अब क्या करे आरक्षण ? किस पर करे सिंगार ?
" का पर करूँ सिंगार पिया मोरे आन्हर। "

SOURCE: Facebook Post

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