नारीमुक्ति

जातिवाद, अंधविश्वास, कट्टरता के मिटे बिना
नारीमुक्ति का सपना कैसे सच होगा?

धर्म को खुद से और खुद को धर्म से जकड़ा हुआ है
सबसे ज्यादा और मजबूत डोर से नारी ने

उन्हें इससे आज़ाद करे/कराए बिना नारीमुक्ति कैसे संभव है?

लल्लोचप्पो करके, हर बात में हाँ हाँ करके
खुद को बड़ा दिखाकर
नारीमुक्ति कैसे संभव है



अंधिओ को अंधी कहे बिना
अंधेपन का एहसास कराए बिना
जंगल से बाहर निकले बिना
कैसे संभव है ये
नारीमुक्ति

वजूद अपना भी होता है कुछ
खुद भी हूँ एक अलग पहचान
नही जरूरत मुझे किसी की
पूरा होने के लिए
बिना इस सोच का विकास किये
नारीमुक्ति का सपना कैसे सच होगा?

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