जातिवाद का आधुनिक रूप

हम दोनों खूब बातें करते थे अपने अपने पुराने असफल प्यारो के बारे में
उसके पेपर मेरी अलग व्यस्तता .. कुछ बीच में नहीं आता था हमारी बातो के
बात शुरू करने का तो पता था ..पर खत्म कब और कैसे होगी ... वो बैलेंस खत्म होने पे ही पता चलता था

धीरे धीरे नज़दीकियां बढ़ती गयीं ....... फिर....

मैं: ओये प्यार करती है मुझसे
कन्या: हाँ
मैं : कितना?
कन्या: बहुत ... ढक्कन इतनी बातें करते हैं हम दोनों ... फिर भी ए सवाल grumpy emoticon


मैं: पर तूने बोला ही नही कभी कुछ, अब मै करमचंद थोड़े ही हूँ
कन्या: आप ना लल्लू हो पूरे ,,पर हो बड़े प्यारे

-शादी करेगी मुझसे? कोर्ट मैरिज कर लेंगे .. बाद में मना लेंगे तेरे माँ बाप को

ठीक है .. बढ़िया प्लान है

-अच्छा सुन .. कुछ भी करने से पहले एक बात क्लियर कर दूँ .. तू जात पात नही मानती ना?

नही, बिलकुल नही
प्यार आपसे करती हुँ, किसी जाति से थोड़ी

-हम्म, बढ़िया
मैं SC तू जनरल , पर , हम दोनों के ५ बच्चे जातिरहित होंगे
( ५ बच्चे उसकी डिमांड थी .. मेरी नहीं, मैं तो एक के भी खिलाफ था)

एक मिनट, हमारी शादी नही हो सकती

-पर तू तो मुझसे प्यार करती है और मैं भी ,, तू जात पात भी नहीं मानती
मैं भी नही, फिर क्या दिक्कत है

अरे मैं नही मानती तो क्या हुआ ..मेरी माँ तो मानती है ना

-------------- खत्म-----------------------------------

कोई कह रहा था ... शहरों में जातिवाद नही होता
भैय्या दूर के ढोल सुहावने ही लगते हैं

खाने पीने में जातिवाद ढूँढोगे तो मिल लिया तुम्हे झुनझुना

Source : Facebook Profile


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